Startup India को मिल रही है NRI Boost! क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह?

2025 में भारत बना है ग्लोबल स्टार्टअप हब! NRI इन्वेस्टर्स कर रहे हैं स्मार्ट, लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट—भावना नहीं, रणनीति से. जानिए क्यों Razorpay और Zepto जैसे स्टार्टअप्स बना रहे हैं ग्लोबल ट्रस्ट का ब्रिज.

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Team TICE
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NRI Startup Investment

NRI निवेश का नया दौर: भारतीय स्टार्टअप्स बना रहे हैं ग्लोबल भरोसे का ब्रांड

2025 में भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम (Startup Ecosystem) अब कोई नई शुरुआत नहीं है, बल्कि अब एक ऐसी ताकत बन चुका है जो पूरी दुनिया की ग्लोबल कैपिटल (Global Capital) को अपनी तरफ खींच रहा है. और दिलचस्प बात यह है कि - इस बदलाव में सबसे खास भूमिका निभा रहे हैं हमारे अपने अप्रवासी भारतीय (NRI Investors).

तो क्या यह सिर्फ भावनाओं से जुड़ा निवेश है? जी नहीं - ये है समझदारी वाला, लॉन्ग टर्म यानि लंबी अवधि की प्लानिंग वाला एक नीतिगत निवेश (Strategic Investment). 

भारत की ग्रोथ + एनआरआई की समझ = परफेक्ट कॉम्बिनेशन

भारत के स्टार्टअप उद्यमी (Indian Startups) अब सिर्फ कॉपी-पेस्ट मॉडल नहीं चला रहे. वो खुद फिनटेक (Fintech), एडटेक (Edtech), हेल्थटेक (Healthtech) और सैस (SaaS) जैसे सेगमेंट्स में लीड कर रहे हैं. और इसका सबूत है ये आंकड़े. 

जनवरी 2025 तक भारत में 1.59 लाख DPIIT रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स (DPIIT-Recognised Startups) बन चुके हैं। और वहीं 100 से ज़्यादा यूनिकॉर्न्स (Unicorns) के साथ आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब (Startup Hub) बन गया है.

कहते हैं पैसे, पैसे को खींचता है. भारयीस स्टार्टअप की चमक को कई अप्रवासी भारतीय (NRI) इन्वेस्टर्स ने जल्दी ही पहचान लिया. इन निवेशकों ने फ्लिपकार्ट (Flipkart), ओयो (OYO), स्विगी (Swiggy) जैसे शुरुआती स्टार्टअप्स में इन्वेस्ट भी किया, और उन्हें 10 गुना से भी ज़्यादा रिटर्न मिला. इस बात ने भारतीय स्टार्टअप बाज़ार को एक बड़ी मज़ूबत नींव दी है. 

2024-25 में $14.55 बिलियन NRI इन्वेस्टमेंट

अगर पूरे बाज़ार पर नज़र डालें तो हम पाते हैं कि - भारत में अप्रवासी भारतीयों द्वारा किया गया निवेश 2024-25 में $14.55 बिलियन तक पहुंच गया है—यानि कि 23.3% की बढ़ोतरी. अब ये कोई इमोशनल ट्रांसफर नहीं, बल्कि स्मार्ट कैपिटल इनफ्लो (Smart Capital Inflow) है. इसके पीछे भारतीय उद्यमियों की मेहनत और उनके कारोबारी नतीजे हैं. जहां निवेशक को भरपूर मुनाफ़ा मिल रहा है. क्योंकि - पश्चिमी देशों में जहां स्टार्टअप्स का P/E रेशियो (Price-to-Earnings Ratio) 20–30x होता है, वहीं भारत में अभी भी ये 5–10x है—यानि कि वैल्यूएशन (Valuation) के हिसाब से भारत एक सस्ता और बेहतर मौका है.

जहां वेस्टर्न मार्केट्स (Western Markets) में अनाप-शनाप वैल्यूएशन का एक गुब्बारा बन चुका है, वहीं भारत में स्टार्टअप्स सही कीमत के साथ हाई पोटेंशियल (High Potential) पर मिल रहे हैं. इसलिए एनआरआई इन्वेस्टर्स अब लॉन्ग टर्म फोकस के साथ भारत की तरफ लौट रहे हैं.

Zepto, Razorpay, और Proxgy जैसे स्टार्टअप्स सिर्फ स्केल नहीं कर रहे—वो एक ग्लोबल मॉडल (Global Model) बनने की दिशा में हैं.

मोदी फैक्टर + इकोनॉमिक स्पीड = आत्मनिर्भर ग्रोथ

लेकिन यहां बात सिर्फ़ निवेश और उस पर मिलने वाले मुनाफे भर की नहीं है. इस नए भारत में विश्वास की एक भी वजह है. यह कहानी सिर्फ इकॉनमी (Economy) की नहीं है—ये है लीडरशिप और विज़न (Leadership and Vision) की. पीएम मोदी (PM Modi) ने इंडिया को एक आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में पेश किया है. इससे ग्लोबल डाया‍स्पोरा (Global Diaspora) में जुड़ाव और भरोसा गहरा हुआ है.

Startup India, Digital India और Atmanirbhar Bharat जैसे अभियानों ने इन्वेस्टमेंट के लिए एक मजबूत नींव दी है.

2030 तक भारत ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ (Global GDP Growth) में 25–30% तक का योगदान देगा. ऐसे में डायस्पोरा कैपिटल (Diaspora Capital) इस कहानी का एक जरूरी हिस्सा बन गया है. साफ़ है - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत की इंटरनैशनल डिप्लोमेसी ने विदेश में रहने वाले भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों में जो आशा जगाई है वह अब नतीजे देने लगी है. 

चुनौतियाँ: रेगुलेशन (Regulation) और रिस्क

लेकिन यह भी तय है कि भारत सरकार को अभी और काम करना है. क्योंकि अगर बात करें असली रुकावटों की तो - भारत में NRI इन्वेस्टमेंट आसान नहीं है. इसके लिए कई रेगुलेटरी नियमों (Regulatory Rules) का पालन ज़रूरी होता है, जैसे:

  • FEMA (Foreign Exchange Management Act) की कम्प्लायंस
  • कुछ सेक्टर्स में सिर्फ 10–24% इक्विटी लिमिट
  • फंड सिर्फ NRE या FCNR खातों से
  • PAN न होने पर 30% टैक्स
  • DTAA (Double Taxation Avoidance Agreement) न होने पर डबल टैक्स का खतरा

गलती हो गई तो भारी जुर्माना और जेल भी संभव है. और ये सब American या European निवेश नियमों से कहीं ज़्यादा सख्त हैं.

दूरी एक चुनौती है—पर नामुमकिन नहीं

क्योंकि एनआरआई भारत में रहते नहीं, इसलिए उन्हें डील्स के लिए Indian Angel Network, LetsVenture, या SAN जैसे प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर रहना पड़ता है.

ये डील क्यूरेशन और डॉक्युमेंटेशन में मदद करते हैं, लेकिन ऑन-ग्राउंड ड्यू डिलिजेंस (Due Diligence) की जगह नहीं ले सकते.

कई बार विदेशों से हाइपरलोकल बिज़नेस मॉडल (Hyperlocal Business Models) जैसे क्विक कॉमर्स, B2B लोकल ऐप्स या रीजनल एडटेक, स्केलेबल नहीं लगते—पर असल में ये भारतीय बाजार में बहुत बड़ा स्कोप रखते हैं.

आज एनआरआई इन्वेस्टर्स सिर्फ पैसे नहीं भेजते—वो जुड़ते हैं लोकल एडवाइजर्स (Local Advisors) से, समझते हैं RBI वैल्यूएशन गाइडलाइंस, और लेते हैं सलाह SEBI-रजिस्टर्ड एक्सपर्ट्स से.

अब कई एनआरआई स्टार्टअप बोर्ड्स, बूटकैंप्स और एक्सेलेरेटर्स में एक्टिव रोल निभा रहे हैं—ग्लोबल एक्सपर्टीज और इंडियन इनोवेशन को एक साथ लाकर.

स्टार्टअप चला रहे हैं? एनआरआई पूंजी पाने के लिए ये तैयारी ज़रूरी है:

  • पूरा FEMA कंप्लायंस
  • RBI अप्रूव्ड वैल्यूएशन मैथड्स (जैसे DCF)
  • क्लियर एग्जिट प्लान: IPO, Acquisition, या Buyback
  • स्टैंडर्ड डॉक्युमेंटेशन और ट्रांसपेरेंसी

Razorpay इसका बेस्ट एक्ज़ाम्पल है—उसने पारदर्शिता से NRI इन्वेस्टर्स का भरोसा जीता.

बड़ी तस्वीर: NRI पूंजी सिर्फ पैसा नहीं, एक पुल है

NRI investment सिर्फ फाइनेंस नहीं, एक इमोशनल और स्ट्रैटेजिक ब्रिज (Bridge between India and World) है. इससे भारतीय स्टार्टअप्स को मिलता है:

  • ग्लोबल नेटवर्क्स
  • इंटरनेशनल पार्टनरशिप्स
  • स्मार्ट ग्रोथ की अपॉर्च्युनिटी

और एनआरआई इन्वेस्टर्स को मिलता है एक तरीका—अपनी जड़ों से जुड़ने और भारत के भविष्य में भागीदार बनने का.

भारत का दांव: बॉर्डरलेस भविष्य

ये कोई short-term trend नहीं, बल्कि एक बड़ा स्ट्रक्चरल बदलाव (Structural Shift) है. NRI अब सिर्फ पैसे नहीं भेज रहे—वो भारत के भविष्य में निवेश कर रहे हैं. तो अगर आप भी एक स्टार्टअप कारोबार चला रहे हैं—तो इस 'डायस्पोरा कैपिटल' के लिए जगह बनाइए. और अगर आप एनआरआई हैं—सिर्फ तालियाँ मत बजाइए, इंडिया की स्टार्टअप क्रांति का हिस्सा बनिए. 

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