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क्या लॉबिंग की वजह से रुक जाएगा भारत का Digital Competition Act?
भारत में डिजिटल बाज़ार जितनी तेज़ी से बढ़ रहा है, उतनी ही तेज़ी से बड़े विदेशी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स इसे नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं — पर पर्दे के पीछे से. इन प्रयासों की सबसे खतरनाक कड़ी है लॉबिंग — और वो भी ऐसे संगठनों और व्यक्तियों के ज़रिए जो खुद को थिंक टैंक, पॉलिसी एक्सपर्ट, स्टार्टअप एन्थुज़ियास्ट या इंडस्ट्री असोसिएशन कहते हैं.
दुर्भाग्य की बात ये है कि भारतीय मीडिया का बड़ा हिस्सा इन संस्थाओं की असल भूमिका को पहचान नहीं पाता. जो थिंक टैंक नीति सलाह का दावा करते हैं, वे अक्सर किसी ना किसी विदेशी कंपनी से अप्रत्यक्ष रूप से फंडेड होते हैं. जो "स्टार्टअप हितैषी" संस्थाएं दिखती हैं, वे दरअसल Big Tech के प्रॉक्सी समूह होते हैं.
Digital Competition Bill को कमजोर करने की सुनियोजित कोशिश
भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित Digital Competition Bill, एक ऐतिहासिक कदम हो सकता है — ऐसा कानून जो न केवल फेयर डिजिटल बाज़ारसुनिश्चित करेगा, बल्कि MSME और भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी विदेशी पूंजी की आंधी से बचाएगा.
लेकिन ठीक इसके पहले, एक संगठित लॉबिंग नेटवर्क सक्रिय हो चुका है. यह नेटवर्क भारत और विदेश दोनों में थिंक टैंक्स, लॉ फर्म्स, नीति-निर्माता सलाहकारों और इंडस्ट्री बॉडीज़ के ज़रिए सरकार पर दबाव बना रहा है कि इस बिल को या तो ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए या इसके ‘तीखे दांत’ निकाल दिए जाएं. यानि बिल के प्रावधानों को कमज़ोर कर दिया जाए.
इनमें प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं:
- IAMAI (Internet and Mobile Association of India)
- USIBC (US-India Business Council)
- कुछ अकादमिक संस्थाएं जो Big Tech द्वारा फंडेड प्रोजेक्ट्स चला रही हैं
- नीति संस्थान जो EU के DMA की आलोचना कर भारत में कमजोर रेगुलेशन की वकालत कर रहे हैं
Digital Economy की ताकत को कम आँकने की चालाकी
इन लॉबिंग समूहों की एक आम रणनीति यह है कि वे भारत के डिजिटल रिटेल मार्केट की महत्ता को कम आँकते हैं. वे कहते हैं कि डिजिटल रिटेल का हिस्सा अभी भी बहुत छोटा है, इसलिए इतने कड़े रेगुलेशन की ज़रूरत नहीं.
लेकिन सच्चाई क्या है?
- Deloitte की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का डिजिटल रिटेल मार्केट 2030 तक $325 बिलियन तक पहुंच जाएगा — जो ऑफलाइन मार्केट से 2.5 गुना बड़ा होगा.
- ANAROCK का अनुमान और भी आक्रामक है — $550 बिलियन तक की ग्रोथ 2035 तक.
- 2022 में $70 बिलियन के मार्केट से यह सीधा $325 बिलियन तक जाएगा — यानी पांच गुना से ज़्यादा ग्रोथ.
- ये ग्रोथ organized retail को भी पीछे छोड़ देगी, जो 2030 तक सिर्फ $230 बिलियन तक पहुंचेगा.
यह तथ्य दर्शाते हैं कि डिजिटल मार्केट कोई ‘फ्लेक्सिबल एक्सपेरिमेंट’ नहीं बल्कि भारत के आर्थिक भविष्य की रेखा है — और इसलिए इसमें रेगुलेटरी स्पष्टता और निष्पक्षता बेहद ज़रूरी है.
क्या EU की तरह India को भी Big Tech पर लगाम लगानी चाहिए?
बिल्कुल.
यूरोपीय यूनियन ने हाल ही में Digital Markets Act (DMA) लागू किया है, जो गेटकीपर कंपनियों — जैसे Google, Amazon, Apple, Meta — को स्पष्ट नियमों में बांधता है. वहीं भारत में लॉबिस्ट्स यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि ‘Ex-ante regulation’ से नवाचार रुक जाएगा.
परंतु यही कंपनियां EU में DMA का पालन कर रही हैं। तो भारत में क्यों नहीं?
क्या भारत एक प्रयोगशाला है जहां नियमों की धज्जियां उड़ाना आसान है?
Digital Competition Bill क्यों है ज़रूरी?
इस बिल का मकसद सिर्फ Big Techs पर लगाम लगाना नहीं है. यह एक व्यापक आर्थिक सुधार है जो:
- विदेशी कंपनियों द्वारा predatory pricing को रोकेगा
- capital dumping और नुकसान में सेल करके मार्केट कब्ज़ा करने की नीति पर रोक लगाएगा
- preferred seller model और algorithmic bias जैसे मसलों को नियंत्रित करेगा
- MSME और स्टार्टअप सेक्टर के लिए फेयर प्ले सुनिश्चित करेगा
- भारत की डिजिटल sovereignty और डेटा अर्थव्यवस्था को सुरक्षित करेगा
पर्दे के पीछे कौन है, ये पहचानना ज़रूरी है
भारत को अब यह तय करना है कि वह लॉबिंग के दबाव में आएगा या न्यायपूर्ण डिजिटल बाज़ार के रास्ते पर चलेगा.
Media, policymakers और जनता — तीनों को यह समझना ज़रूरी है कि थिंक टैंक, नीति सलाहकार, इंडस्ट्री बॉडीज़ सभी के पीछे स्रोतों और एजेंडों की पारदर्शिता ज़रूरी है.
हर बार जब कोई पॉलिसी के खिलाफ़ 'अकादमिक' राय दी जाती है, हमें यह पूछना चाहिए — "ये बात किसके लिए कही जा रही है?”
India का डिजिटल भविष्य केवल तकनीक से नहीं, नीतिगत साहस (policy courage) से तय होगा. और Digital Competition Bill इसी दिशा में एक निर्णायक क़दम है. सरकार को चाहिए कि वह इस बिल को लॉबिंग के शोर में नहीं खोने दे — क्योंकि अगर यह मौका गया, तो Big Tech सिर्फ बाज़ार नहीं, भारत की नीति-निर्माण प्रक्रिया को भी अपनी पकड़ में ले लेगा.